Monday, 26 January 2009
इश्क!!
अजब पागल का लड़खा है
मुझे हर कथ में लिक्था है
मुझे तुम याद करते हो?
तुम्हें में याद आता हु??
मेरी बातें सताता हैं
मेरी नींद जागता है
मेरी आखें रुलाता है
मुझे कभी कभी बहुत परीशान करता है
किसी कमोश रास्ते से आवाज़ आता है
किताबों से तुम्हारे इश्क में कोई काम आई??
या मेरी याद की सिधाथ से आँखों में नामि आई
अजब पगाल का लड़का है
मुझे हर कथ में लिक्था है,
जवाबन उसे लिक्थी हु
मेरी मस्रुफिअत देखो,
सुबह से शाम ऑफिस में, चिरागे उमर जलती है,
फिर उसके बाद दुनिया की,कई मज्बुरियन पाँव में
बेडियाँ दाल है,
मुझे बेफिक्र चाहत से भरे सपने नही दिकथे,
तहलने, जागने,रोने की मोलाथि ही नही मिलती है.
सितारों से मिले जब अरसा हुआ..... नाराज़ हु शायद......
किताबों से शगफ़ मेरी, अभी वैसे ही खयाम है...
फरक इतना पड़ा है अब उन्हें अरसे में पड़ती हु।
अगली बार जब कथ लिक्थे हो,
मत बोलना की में हमेशा याद करता हु
तू मुझे नींद करने केलिए नही देती,
बहुत ही मुश्किल होता है मुझे
ऑफिस में काम करने को,
क्यों की तू हमेशा मेरा नींद में,
यादो जैसे आके फसक जाती हो!!
तू जो भी बोल या न बोल,
मुझे ज़रूर पता है की,
तू हमेशा मुझे तेरा प्रार्थना में मुझे याद करते हो
वहि मुझे बहुत ही बढ़िया token of love[जैसे से है]।
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