Tuesday, 27 January 2009

वोह कॉलेज के दिन..


कुत्च बाते भूली हुई,
कुत्च पल भीते हुई,

हर गलती का एक नया बहाना,
और फ़िर सबकी नज़र में आना।

एक्साम की पुरी रात जागना,
फिर भी सवाल देखे सिर खुजाना।

मौका मिले थो क्लास बंक मरना,
फ़िर दोस्तों के साथ गुमना या कैंटीन जाना

उसका या उसकी जलक देखने रोज कॉलेज जाना,
उसको देक्थे देक्थे attendance bhool जाना

हर पल है नया सपना,
आज जो टूटे फ़िर भी है अपना,

ये कॉलेज की दिन,
इन लम्हों में ज़िन्दगी जी भर के जीना

याद करके इन पलों को,
फ़िर ज़िन्दगी भर मुस्कुराना!!

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